शनिवार, नवंबर 24, 2007

पाक में चैनल के कार्यक्रम सड़क पर

दो शब्‍द

पता नहीं जनरल साहब किस प्रकार का लोकतंत्र पाकिस्‍तान में चाहते हैं... लगता है उनकी शासन करने की मानसिकता सैन्‍य संचालन की तरह ही जिंदा है। लेकिन जनरल साहब को समझना होगा की यह सेना संचालन जैसा नहीं है। यहां अलग-अलग ख्‍याल के लोग है, जाहिर है अनुशासन का तरीका भी अलग होगा। समझिए जनरल साहब नहीं तो पाकिस्‍तान की जनता शायद समझा दे।

अब खबर
पाकिस्तान की मीडिया ने राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ द्वारा आपातकाल के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों के खिलाफ संघर्ष करने का नया तरीका ढूंढ निकाला है।

आपातकाल के दौरान निजी समाचार चैनलों के प्रसारण पर रोक लगा दी गई है, ऐसे में पत्रकारों ने अपनी आवाज जनता तक पहुंचाने के लिए नए उपाय निकाले हैं।

पत्रकारों जिन कार्यक्रमों का प्रसारण पहले स्टूडियों में बैठ कर करते थे, अब उन्होंने ऐसे कार्यक्रम सड़क, चौपालों में करने शुरू कर दिए हैं।

डॉन न्यूज के सम्पादक जफर अब्बास कहते है कि प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अब वे अपनी आवाज जनता तक पहुंचाने के लिए सड़कों पर आ गए हैं। पाकिस्तान प्रेस क्‍लब के बाहर ऐसे ही कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है जिनमें दर्शक सीधे तौर पर पहुंच रहे हैं।

ऐसा ही एक शो जियो टीवी के प्रस्तोता हामिद मीर द्वारा किया गया जिसमें पूर्व क्रिकेटर और राजनीतिक इमरान खान ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में जनता ने बड़े उत्साह से भाग लिया और खान से सवाल पूछे।

जियो, एआरवाई दुबई से अपलिंकिंग सुविधा हटाएंगे

पाकिस्तानी सैन्य शासन के दबाव में प्रसारण पर प्रतिबंध झेल रहे एआरवाई तथा जिओ टीवी चैनल सैटेलाइट सिग्नल अपलिंकिंग सुविधा दुबई की मीडिया सिटी से हटा कर लंदन या सिंगापुर स्थानांतरित करने पर विचार कर रहे हैं।

एआरवाई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सलमान इकबाल ने बताया कि पिछले 22 दिनों में उन्हें 80 लाख डालर का नुकसान उठाना पड़ा है। उन्हें डर है कि ऐसा दोबारा हो सकता है।

दुबई मीडिया सिटी ने दो लोकप्रिय पाकिस्तानी चैनलों का प्रसारण पाकिस्तान सरकार के कहने पर बंद कर दिया था। मीडिया सिटी के अधिकारियों ने कहा कि यह निर्णय संयुक्त अरब अमीरात की तटस्थता और हस्तक्षेप नहीं करने की नीति के अंतर्गत लिया गया।

जिओ न्यूज के अधिकारियों ने बताया कि वे भी प्रसारण अपलिंकिंग सुविधा दुबई के बाहर ले जाने पर विचार कर रहे हैं।

शुक्रवार, नवंबर 02, 2007

बंद से नहीं ठोस निर्णय से बदलेगा बिहार

दो शब्‍द
गुंडा, मवाली और बलात्‍कारी आपके जनप्रतिनिधि हैं तो आप एक बार सोचिए। हो सकता है आपका यह जनप्रतिनिधि आपका ही शिकार कर बैठे। अपराध के विरोध में बंद करने भर से समस्‍या का समाधान नहीं हो सकता। जरूरत है एक बदलाव की और यह बदलाव जनता ही ला सकती है। अपना जनप्रतिनिधि चुनने से पहले यह जरूर देखा जाना चाहिए कि उम्‍मीदवार का बैकग्राउंड कैसा है।

अब खबर

विपक्षी दलों ने पत्रकारों पर हुए जानलेवा हमले के खिलाफ शुक्रवार को बिहार बन्द का आह्वान किया है। बंद से रेलवे, विमान सेवा, एम्बुलेंस, अस्पताल, दवा दुकान सहित आपात सेवाओं को अलग रखा गया है। बन्द को राजद, कांग्रेस, लोजपा, माकपा, भाकपा, एनसीपी, बसपा व समता पार्टी का समर्थन है।
नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी के नेतृत्व में गुरुवार को विपक्षी दलों के नेताओं ने राज्यपाल आरएस गवई से मिलकर घायल पत्रकारों की सुरक्षा, उनका सरकारी खर्चे पर इलाज व रेशमा खातून की हत्या से सम्बन्धित साक्ष्य मिटाने से सरकार को रोकने का आदेश देने का अनुरोध किया। नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी ने अभिभावकों से अनुरोध किया है कि वे बन्द के दिन अपने बच्चों को स्कूल, कालेज नहीं भेजें। उन्होंने कहा कि एनडीटीवी के पत्रकार प्रकाश सिंह, फोटोग्राफर हबीब व एएनआई के अजय कुमार की जदयू विधायक अनन्त सिंह ने अपने सरकारी आवास पर जान से मारने की नीयत से बेरहमी से पिटाई की। उन्होंने कहा कि रेशमा खातून नामक महिला की हत्या के सम्बन्ध में पत्रकार उनका पक्ष लेने पहुंचे थे। इससे पूर्व बिहार बन्द को लेकर नेता प्रतिपक्ष के कक्ष में विरोधी दलों के नेताओं की बैठक हुई। इसमें लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमले को खतरनाक संकेत माना गया।
राज्यपाल से मिलने के बाद नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि शिष्टमंडल ने राज्यपाल से रेशमा खातून मामले में विधायक अनन्त सिंह के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर स्पीडी ट्रायल चलाने, पुलिस अधिकारियों को बुलाकर साक्ष्य समाप्त होने से बचाने व इसकी जांच कराने का अनुरोध किया गया। उन्होंने कहा कि रेशमा के पत्र पर डीपीजी के स्तर से कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी। रेशमा ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में विधायक अनन्त सिंह पर बलात्कार का आरोप लगाया था। उसने अपनी हत्या की भी आशंका जतायी थी। इस पत्र की प्रति नेता प्रतिपक्ष को भी भेजी गयी थी। पत्र की प्रति नेता प्रतिपक्ष ने 27 अक्टूबर को डीजीपी को भेजी भी, लेकिन इसके बावजूद कोई कर्रवाई नहीं हुई।
प्रदेश राजद अध्यक्ष अब्दुलबारी सिद्दीकी व मुख्य प्रवक्ता शकील अहमद खां ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता दरबार का नाटक करते हैं जबकि रेशमा के पत्र पर कार्रवाई करने की उनको फुर्सत तक नहीं थी। उन्होंने कहा कि मामले की सीबीआई जांच तभी सार्थक हो सकती है जब साक्ष्य बरकरार रहें। राज्यपाल से मिलने वाले शिष्टमंडल में कांग्रेस विधायक दल के नेता डा. अशोक कुमार, लोजपा के दुलारचन्द यादव, माकपा के सुबोध राय, भाकपा के यूएन मिश्र, बसपा के रामचन्द्र यादव, समता के पीके सिन्हा, प्रदेश राजद अध्यक्ष अब्दुलबारी सिद्दीकी, शकील अहमद खां, रामचन्द्र पूर्वे व रामबचन राय शामिल थे।

गुरुवार, नवंबर 01, 2007

यह कैसा सुशासन है नीतीश जी

दो शब्‍द:

यह कैसा सुशासन है जहां पत्रकारों को बंधक बनाकर रखा जाता है और उसकी पिटाई की जाती है। माननीय मुख्‍यमंत्री जी आपने तो बिहार की जनता के सामने सुशासन लाने का वादा किया था। क्‍या यही आपका सुशासन है। शर्म कीजिए, अगर ईमानदारी से शासन करने के लिए ऐसे अपराधी लोगों का सहयोग लेना पर रहा है तो इससे अच्‍छा है आप अपने पद से इस्‍तीफा दे दें और जनता के दरबार में जाएं। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो पिछली सरकार जिसके विषय में आप पानी पी पीकर कोसते रहे, तो उसमें और आपमें कोई अंतर नहीं रह जाएगा।

अब खबर:
बिहार की राजधानी पटना में सत्तारूढ़ जनतादल (यूनाइडेट) के एक विधायक अनंत सिंह के घर पर कुछ पत्रकारों की पिटाई की गई है। पहले उनके घर पर ख़बर लेने गए एक टीवी चैनल एनडीटीवी के पत्रकार और उनके कैमरामैन के साथ गालीगलौज की गई और उन्हें बुरी तरह पीटा गया और फिर उनके घर के सामने जमा हुए पत्रकारों को भी दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया.
इस मारपीट में घायल तीन पत्रकारों को अस्पताल में भर्ती किया गया है. एनडीटीवी के कैमरामैन की हालत गंभीर बताई गई है.
मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं और वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के क़रीबी लोगों में से एक माने जाते हैं । वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कुंदन कृष्णन ने बताया कि विधायक अनंत सिंह और उनके चार समर्थकों को न्यायिक हिरासत में लिया गया है। उधर विपक्ष की नेता राबड़ी देवी ने इस घटना की निंदा करते हुए शुक्रवार को बिहार बंद का ऐलान किया है. मामला एक लड़की के दैहिक शोषण और उसकी कथित हत्या से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है.

मामला
पिछले दिनों एक युवती रेशमा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष की नेता राबड़ी देवी सहित कई राजनीतिज्ञों को पत्र लिखकर विधायक अनंत सिंह और दो ठेकेदारों पर नौकरी देने के नाम पर दैहिक शोषण का आरोप लगाया था. रेशमा ने अपने पत्र में ठेकेदारों के नाम विपिन सिन्हा और मुकेश सिंह लिखे हैं. पटना के शास्त्री नगर इलाक़े में बुधवार की शाम एक बोर में एक युवती की लाश मिली. इसके बाद यह कयास लगाए जाने लगे कि यह लाश उसी युवती रेशमा की है। हालांकि पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की है कि यह लाश रेशमा की ही थी. गुरुवार को एनडीटीवी के पत्रकार प्रकाश सिंह अपने कैमरामैन हबीब अली के साथ अनंत सिंह के घर उनका पक्ष जानने के लिए गए हुए थे.
प्रकाश सिंह का कहना है कि उन्होंने जैसे ही इस लड़की के सिलसिले में सवाल पूछे अनंत सिंह नाराज़ हो गए और गालीगलौज करने लगे और फिर मारपीट पर उतर आए. उनका आरोप है कि विधायक के घर पर उन्हें बंधक भी बना लिया गया था. इस घटना की ख़बर मिलने के बाद जब पटना के दूसरे पत्रकार अनंत सिंह के घर के सामने इकट्ठा हुए पत्रकारों को भी अनंत सिंह के समर्थकों और उनके बंगले पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। पत्रकार प्रकाश सिंह, कैमरामैन हबीब अली की ओर से पुलिस में अनंत सिंह और उनके समर्थकों के ख़िलाफ़ मारपीट करने, गालीगलौज करने और जान से मारने की धमकी देने की रिपोर्ट लिखाई है. इसके आधार पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कुंदन कृष्णन ने अनंत सिंह के घर जाकर कार्रवाई की है. उन्होंने बताया कि अनंत सिंह और उनके चार समर्थकों को पहचान के आधार पर न्यायिक हिरासत में लिया गया है.
नीतीश कुमार की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

दलित बस्‍ती में ही सफाई करने क्‍यों पहुंच जाते हैं नेता...

बीजेपी हो या कांग्रेस या आम आदमी पार्टी सभी अपने सोच से सामंती व्‍यवस्‍था के पोषक हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वॉड...