कॉमनवेल्थ गेम भारत में नहीं हो रहा है. मुझे तो कम से कम यही लग रहा है. चाहे सत्ता पक्ष के मणिशंकर अय्यर हों या विपक्ष में बैठे वामदल हों, सब कॉमनवेल्थ को लेकर कुछ न कुछ ऐसा बयान दे रहे हैं. इन नेताओं के बयान से ऐसा लग रहा है जैसे यह खेल पाकिस्तान में कराए जा रहे हैं जिसे हर हाल में असफल हो जाना चाहिए.
हालिया बयान गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र भाई मोदी का आया है. मोदी का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी खुद से पोंछा लगाने लगे तो भी कॉमनवेल्थ गेम का कुछ नहीं हो सकता है. मोदी का कहना है कि कॉमनवेल्थ मामले में काम इतना बिगड़ चुका है कि कोई कुछ नहीं कर सकता है.
क्या देश की सभी पार्टियां कॉमनवेल्थ मुद्दे पर एक होकर इसे सफल बनाने के लिए काम नहीं कर सकती? क्या यह गेम पाकिस्तान में हो रहा है? बेहतर तो यह होता कि सभी नेता, पक्ष और विपक्ष मिलकर इस गेम को सफल बनाते और फिर इस दौरान हुई खामियों के लिए जिम्मेदारी तय करते. आखिर यह गेम अब देश की प्रतिष्ठा का विषय बन चुका है.
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