बुधवार, अप्रैल 13, 2011

क्‍या अन्‍ना की बात पर राजनीति जरुरी है?

अन्‍ना हजारे ने गुजरात और बिहार में हो रहे ग्रामीण क्षेत्रों में विकास का उल्‍लेख अपने प्रेस कांफ्रेंस में किया था. अन्‍ना यह भूल गए कि वह कहां बोल रहे हैं और लोग उसका क्‍या मतलब निकालेंगे. मेधा पाटेकर और मल्लिका साराभाई जब इसका मतलब मोदी की तारीफ से लगा सकती है तो दूसरे अन्‍य लोगों की बात ही क्‍या. लगता है लोगों ने यह मान लिया है कि एक गलती (?) की सजा तमाम अच्‍छे कामों से ज्‍यादा होनी चाहिए. जब तक मोदी उस सीमा को तय नहीं कर लेते तब तक वो प्रशंसा के पात्र नहीं होंगे!

कोई टिप्पणी नहीं:

दलित बस्‍ती में ही सफाई करने क्‍यों पहुंच जाते हैं नेता...

बीजेपी हो या कांग्रेस या आम आदमी पार्टी सभी अपने सोच से सामंती व्‍यवस्‍था के पोषक हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वॉड...